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कानपुर शहर

शाश्वत गंगा के तट पर स्थित, कानपुर अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और व्यावसायिक महत्व के साथ उत्तर भारत के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में से एक है। माना जाता है कि तत्कालीन राज्य सचेंडी के राजा हिंदू सिंह द्वारा स्थापित किया गया था, कानपुर मूल रूप से कान्हपुर के नाम से जाना जाता था। ऐतिहासिक रूप से, वर्तमान समय के पूर्वी बाहरी इलाके में जाजमऊ को कानपुर जिले के सबसे पुरातन टाउनशिप में से एक माना जाता है।

कानपुर राज्य का सबसे बड़ा शहर है और वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियों का मुख्य केंद्र है। पहले इसे भारत का मैनचेस्टर कहा जाता था। अब यह उत्तर प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी है।

यह सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या पर स्थित है। 2 और 25 और राज्य राजमार्ग, मुख्य दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रंक लाइनें और पवित्र गंगा नदी के तट पर। यह समुद्र तल से लगभग 126 मीटर ऊपर है। वर्तमान में दिल्ली के लिए नागरिक हवाई सेवा शहर के लिए अहिरवान में उपलब्ध है। अन्य निकटतम नागरिक हवाई बंदरगाह अमौसी (लखनऊ) 65 किमी है।

About Kanpur
जनांकिकी - 260 वर्ग किमी
  • Population Icon 45,81,000 जनसंख्या
  • Population Icon 105 pph औसत जनसंख्या घनत्व
  • literacy Icon 79.65% साक्षरता दर
  • Female Icon 21,21,000 महिला जनसंख्या
  • Male Icon 24,60,000 पुरुष जनसंख्या
  • Male Icon 50,99,24 18 वर्ष से कम (किशोर)
कैसे पहुंचा जाये
इतिहास
About Kanpur

माना जाता है कि इस शहर की स्थापना सचेन्दी राज्य के राजा हिन्दू सिंह ने की थी। कानपुर का मूल नाम ‘कान्हपुर’ था। नगर की उत्पत्ति का सचेंदी के राजा हिंदूसिंह से, अथवा महाभारत काल के वीर कर्ण से संबद्ध होना चाहे संदेहात्मक हो पर इतना प्रमाणित है कि अवध के नवाबों में शासनकाल के अंतिम चरण में यह नगर पुराना कानपुर, पटकापुर, कुरसवाँ, जुही तथा सीमामऊ गाँवों के मिलने से बना था। पड़ोस के प्रदेश के साथ इस नगर का शासन भी कन्नौज तथा कालपी के शासकों के हाथों में रहा और बाद में मुसलमान शासकों के। १७७३ से १८०१ तक अवध के नवाब अलमास अली का यहाँ सुयोग्य शासन रहा। १७७३ की संधि के बाद यह नगर अंग्रेजों के शासन में आया, फलस्वरूप १७७८ ई. में यहाँ अंग्रेज छावनी बनी। गंगा के तट पर स्थित होने के कारण यहाँ यातायात तथा उद्योग धंधों की सुविधा थी। अतएव अंग्रेजों ने यहाँ उद्योग धंधों को जन्म दिया तथा नगर के विकास का प्रारंभ हुआ। सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहाँ नील का व्यवसाय प्रारंभ किया। १८३२ में ग्रैंड ट्रंक सड़क के बन जाने पर यह नगर इलाहाबाद से जुड़ गया। १८६४ ई. में लखनऊ, कालपी आदि मुख्य स्थानों से सड़कों द्वारा जोड़ दिया गया। ऊपरी गंगा नहर का निर्माण भी हो गया। यातायात के इस विकास से नगर का व्यापार पुन: तेजी से बढ़ा।

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